भक्तों द्वारा संचालित आश्रम वेबसाइट यह वेबसाइट सीधे आश्रम द्वारा नहीं, बल्कि भक्तों द्वारा चलाई जा रही है, ताकि सभी भक्तगणों को आश्रम की जानकारी आसानी से मिल सके।

पं. पू. संत श्री गुरुदेव बाबाजी
संत श्री श्री 1008 योगेश जी महाराज Shant Shree 1008 Yogesh Ji Maharaj Balipur Dham
परम पूज्य परम संत श्री श्री 1008 योगेश जी महाराज का परिचय


॥ गुरु ॐ ॥
श्रीधाम बालीपुर की पावन भूमि, जो परम संत श्री श्री 1008 गजानन जी महाराज की तपोभूमि है, वहाँ त्याग, तपस्या, करुणा, दया, प्रेम और उपासना का दिव्य प्रवाह सदियों से बह रहा है। इसी पवित्र भूमि पर परम संत श्री श्री 1008 गजानन जी महाराज परात्पर गुरुदेव के वंश में एक ऐसे तेजस्वी पुत्र रत्न का अवतरण हुआ, जो आज हजारों संतप्त जनों को शीतलता प्रदान कर रहे हैं – वे हैं परम पूज्य परम संत श्री श्री 1008 योगेश जी महाराज।
जन्म एवं बाल्यकाल: गुरुदेव की छत्रछाया में
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 के ठीक 39 वर्ष पूर्व, अर्थात सन् 1984 में, श्रीधाम बालीपुर में परम संत श्री श्री 1008 योगेश जी महाराज का जन्म हुआ। उन दिनों सद्गुरुदेव परम संत श्री श्री 1008 गजानन जी महाराज की कीर्ति दिग-दिगंत में व्याप्त थी। एक नन्हा सा बालक, योगेश जी महाराज, अपने दादाजी (गुरुदेव) की संध्या उपासना को देख-देखकर ही प्रभावित होने लगे थे। पूज्य बाबाश्री भी उनमें अपना भावी उत्तराधिकारी देख रहे थे। संत श्री श्री 1008 योगेश जी महाराज Shant Shree 1008 Yogesh Ji Maharaj Balipur Dham
ख्याति प्राप्त बाबाश्री गजानन जी महाराज के लाडले, योगेश जी, जन-जन के लाडले हो गए थे। हजारों भक्तों के लाड़-प्यार से बड़े हुए बालक स्वभाव से नटखट और मनमौजी थे, लेकिन उन पर बाबाश्री का वरदहस्त सदैव बना रहा – "जाको राखे साईंया मार सके न कोई"। आपके पिता श्री, श्री श्री भालचंद्र जी भार्गव और माता श्री, श्रीमती शारदा देवी अत्यंत भाग्यवान हैं, जिन्होंने ऐसा ऊर्जावान, पुरुषार्थी, उदारमना और धर्म प्रचारक पुत्र प्राप्त किया।
गुरुदेव के मार्गदर्शन में आध्यात्मिक विकास
बाबाश्री परम संत श्री श्री 1008 गजानन जी महाराज के ब्रह्मलीन होने से पूर्व ही परम संत श्री श्री 1008 योगेश जी महाराज आश्रम से जुड़ गए थे। बाबाश्री ने उन्हें अपने लाड़-प्यार, और आवश्यकता पड़ने पर डांट-डपट कर, आध्यात्म व जनसेवा के साँचे में ढालने का कार्य किया। यह गुरु की कृपा और शिष्य के समर्पण का ही परिणाम था। बाबाश्री के ब्रह्मलीन होने के बाद जब आश्रम की विशाल जिम्मेदारियां उन पर आईं, तो जो कुछ भी कमियाँ शेष रह गई थीं, वे भी दूर होने लगीं। नन्हा सा पौधा, जिसे गुरुदेव ने सींचा था, आज एक विशाल वट वृक्ष बन गया है जिसकी घनी छाँव में हजारों संतप्त जन मानसिक और आध्यात्मिक शीतलता प्राप्त कर रहे हैं।
आश्रम का विस्तार एवं कुशल प्रबंधन
परम संत श्री श्री 1008 योगेश जी महाराज ने अपने अथक प्रयासों और दूरदृष्टि से आश्रम का अभूतपूर्व विस्तार किया है। सन् 2016 में आपके द्वारा विशाल आयुतचण्डी (50 हजार पाठ) यज्ञ संपन्न हुआ, जिसने क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।
धीरे-धीरे आपने आश्रम का प्रबंधन और विस्तार अपने हाथ में लिया:
मूल आश्रम के पास वर्तमान डोम वाली जमीन क्रय की गई और उसे भव्य रूप प्रदान किया गया।
आश्रम के पूर्व में 15 एकड़ जमीन खरीदकर विशाल भंडारों आदि की व्यवस्थाओं को सुचारु बनाया गया।
ब्राह्मण देवों की भोजनशाला को व्यवस्थित और सुविधायुक्त बनाया गया।
बिल्वपत्र के नीचे बाबाश्री के शयन कक्ष व श्री विग्रह के साथ इस मंडप को स्टील जाली के बाउंड्री वाल से व्यवस्थित किया गया।
ब्राह्मणों की पूर्व भोजनशाला के स्थान पर फलाहार कक्ष व डोम प्रवेश कक्ष का निर्माण किया गया।
आपके पुरुषार्थ का ही परिणाम है कि बाबाश्री परम संत श्री श्री 1008 गजानन जी महाराज का 100वाँ प्राकट्य उत्सव भारत का एक अनोखा, दिव्य व भव्य उत्सव बना। तभी से 108 अखंड श्रीराम चरित मानस पाठ, गुरु चालीसा, दुर्गा चालीसा और ब्राह्मण वर्ग द्वारा माँ गायत्री का ध्यान-जप अनुष्ठान अनवरत आज भी चल रहे हैं।
निरंतर सेवा और आध्यात्मिक प्रभाव
परम संत श्री श्री 1008 योगेश जी महाराज ब्राह्मणों को उनके कर्तव्य से पुनः जोड़ने, संस्कृत, संस्कारों व संस्कृति से जोड़ने हेतु निरंतर प्रयासरत हैं। इसी उद्देश्य से आपने कई गाँवों और शहरों का भ्रमण कर ब्राह्मणों को अपने संस्कारों से जोड़ा है।
धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, इंदौर, भोपाल आदि जिलों के सैकड़ों गाँवों व शहरों में बाबाश्री की आरतियां प्रारंभ करवाई गई हैं, जिससे गुरुदेव का संदेश घर-घर तक पहुँच रहा है। आज उनके अथक प्रयासों से 125 से अधिक गाँवों में बाबाश्री की आरती व प्रार्थना चल रही है।
आश्रम में प्रतिदिन सैकड़ों गुरुभक्त दर्शनार्थ पधारते हैं, जिनकी आवभगत और फलाहार प्रसादी की उत्तम व्यवस्था की जाती है। आपकी प्रेरणा से ही आश्रम में विगत 15 वर्षों से "पावन स्मरण" नामक त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है, जिसके लगभग 3000 आजीवन सदस्य हैं और यह विस्तार लेती जा रही है।
महाराज श्री चौबीसों घंटे आश्रम के कार्यों में लीन रहते हुए भी अपनी संध्या वंदन व हवन से नहीं चूकते। यही उनकी आध्यात्मिक ताकत है, जो उन्हें ऊर्जावान और शक्तिवान बनाए रखती है। आपके अथक प्रयासों से आश्रम के पास जमीन क्रय कर विशाल सभा मंडप का निर्माण हुआ है, जिसमें 4-5 हजार लोग एक साथ भोजन प्रसादी ग्रहण कर सकते हैं। साथ ही, वर्षभर में होने वाले कार्यक्रमों और अनुष्ठानों का विस्तार कई गुना बढ़ गया है, जिनमें 8-10 लाख लोग आते हैं और भोजन प्रसादी पाते हैं, जो वास्तव में एक चमत्कार से कम नहीं है।
आपसे राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हस्तियाँ और कई मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर भी जुड़े हुए हैं, जो आश्रम में आते रहते हैं, जिससे श्रीधाम बालीपुर की ख्याति का दिक्-दिगंत में विस्तार हो रहा है।
आप सभी का आह्वान
जो एक बार इस पावन भूमि का श्रद्धाभाव से स्पर्श पाता है, वह बार-बार यहाँ आने हेतु लालायित हो जाता है। आप कलयुग की इस स्वर्ग धरा पर अवश्य पधारें और अपना मानव जीवन धन्य करें।
"ज्ञान न उपजे गुरु बिना बिन गुरु भक्ति ना होय। मन का शंशय मिटे बिन गुरु मुक्ति ना होय॥"
गुरु बिना ज्ञान की वृद्धि नहीं होती और न ही गुरु के बिना किसी भी प्रकार की भक्ति की जा सकती है। अपने मन में जो संदेह और संशय है, वह गुरु के बिना नहीं मिट सकता, और न ही गुरु के बिना हमें मुक्ति प्राप्त हो सकती है। इसलिए गुरु की आवश्यकता अनिवार्य है।





























महत्वपूर्ण लिंक
संपर्क सूत्र
© 2025. All rights reserved.