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अम्बिका आश्रम बालीपुरधाम के बारे में
श्री श्री 1008 श्री गजानन जी महाराज का यह आश्रम धार जिलें की मनावर तहसील मुख्यालय में चार किलोमीटर पश्चिम में मनावर-डेहरी-बाग रोड़ पर स्थित है। प्रारंभ में बाबा श्री यहाँ छोटा सा आश्रम बनाकर तपस्या करते थे। जैसे-जैसे बाबाजी की ख्याति बड़ती गई, कई भक्तों ने अपनी उपयोग की भूमिदान की और आश्रम एक बड़ा आकार लेता गया । पचासो बाह्मण शतचण्डी पाठ उपरांत विशाल यज्ञ हवन संपन्न करते है। उसके बाद चैत्र नवरात्रि पर भी शतचण्डी पाठ हवन होने लगे। आश्रम पूर्ण वैदिक विधि से तैयार किया गया है । पुरे आश्रम में समान आकार की रेत का बिछावना आज भी रहता है, आश्रम में मध्य में विशाल बिल्ववृक्ष के नीचे बाबा श्री का श्रीविगृह प्रतिष्ठित है। जहाँ पूर्व काल में बाबा श्री अपने भक्तों के विराजते व सतसंग करते थे।
अग्नेय कोण में यज्ञशाला का विशाल मण्डप बांस बल्लियों से बना है जिसका प्रतिवर्ष नवीनीकरण होता है । जिसको आम जामुन आदि के पत्तों से आच्छादित किया जाता है। मण्डप के मध्य में विशाल नागर वेली पान के आकार का हवन कुण्ड वर्तमान में निर्मित है। यह स्थान शरीर के सप्तचक्र का सातवां चक्रकुण्ड है जो समाधी चक्र को दर्शाता है। इस यज्ञ कुण्ड में विगत 1944 से अग्नि प्रज्जवलित है जो कभी बुझती नहीं है। हमारे घरों पर गृह प्रवेश आदि समय जैसा हवन होता है वैसा यहाँ प्रतिदिन हवन होता है। यज्ञ मण्डप में बिना सोले (धोती) के कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता। यह क्रम ब्राह्मण भोजनशाला का भी है। यहा बारह माह दुर्गासप्तशति के पाठ, रूद्राष्टाध्यायी पाठ व हनुमत स्तवन निरंतर चलते रहते है।


वर्तमान में चार बड़े आयोजन होते है (1) अश्विन नवरात्रि (2) चैत्र नवरात्रि (3) गुरु पूर्णिमा पर्व (4) गुरु जन्म दिवस होलिका पर्व । इन पर्वों पर शहस्त्र चण्डी यज्ञ होते है और प्रतिमाह की शुक्लपक्ष सप्तम, अष्टमीं, नवमीं को शतचण्डी पाठ होता है। बाबाजी के ब्रह्मलीन होने के बाद यह सब विशालता ग्रहण होने लगी है। महाराज श्री योगेश जी के पुरुषार्थ ने बाबाजी के इस आश्रम की ख्याति में चार चाँद लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे रात-दिन इस दिशा में कार्यरत है। आश्रम के ईशान कोण में बाबाश्री के श्री विगृह के साथ आयुर्वेद शाला है। बाबाश्री अपने समय में यही बैठ कर दीन- दुःखीयों की आधि-व्याधि हरते थे । बाबा श्री बड़े आयुर्वेदाचार्य थे। वे कई बीमारियों की दवाईयाँ आश्रम में ही तैयार करते थे। हजारों मरीजों का बाबा श्री ने सफल उपचार किया और धागे-गण्डे के अंध कूप से निकाला वहीं काम आज संत श्री सुधाकर महाराज कर रहे हैं।
यहाँ बताता चलु आश्रम में वर्तमान में दो विभूतियाँ विराजित है। एक महाराज श्री श्री योगेश जी जो गुरुगादी पर आसीन है वे बाबा श्री के बडे भाई के पुत्र के पुत्र है। आप निराहारी व ब्रह्मचारी है। आप श्री का पुरुषार्थ ही है कि आज आश्रम इतना विस्तारित, पल्लवित व पुष्पित हो रहा है। दूसरे है बाबाश्री के परमकृपा पात्र, वरद हस्त प्राप्त संत श्री सुधाकर महाराज । आप बाबा श्री के प्रतिकृति है । आप ब्रह्मचारी, निराहारी और बाबाश्री को ही पुरा तन, मन, धन अर्पण करने वाले महान योगी है। बाबाश्री का जन-मन की पीड़ा हरने व आयुर्वेद का काम आप ही संभाल रहे हैं। आप के समक्ष हिमालय का वितरागी संत भी कई नहीं टिकता है।
बाबाश्री के ब्रह्मलीन होने के बाद आश्रम के आकार प्रकार में बहुत परिवर्तन आया है। आश्रम के उत्तर में विशाल सभा मण्डप व बाबाश्री का श्रीविगृह भव्य बना है, पास ही पाकशाला है। मुख्य रास्ते के दुसरी ओर 25 बीघा जमीन खरीदी गई है। जहाँ लाखों लोगों को विशाल भण्डारा दिया जाता है। इस वर्ष जन्म शताब्दी होने से 5-6 लाख लोगों ने प्रसादी पाई है। 108 क्विंटल शक्कर के मिष्ठान बने थे । तीन किलोमीटर लम्बी शोभायात्रा व कैलाश विजयवर्गी सभी कई गणमान्य शोभायात्रा में शामिल हुए।
पाठ, यज्ञ, हवन से यह भूमि पावन, उर्जावान व सिद्ध क्षेत्र बन गई है। आप अवश्य एक बार पधारे। आप का तन-मन रोमांचित होकर अपार आत्मशांति से भर जायेगा।


आश्रम की दुर्लभ फोटो
आश्रम की गतिविधियों और पलों की सुंदर तस्वीरें यहाँ हैं।






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